नर्मदा नदी के बारे में जानने योग्य कुछ तथ्य-

नर्मदा नदी (Narmada River) का उद्गम स्थल अमरकण्टक शिखर से है।

इसका उद्गम मध्यप्रदेश के अमरकंटक पठार पर स्तिथ नर्मदा कुंड से हुआ है।

ग्रंथों में इस नदी को रेवा के नाम से भी जाना जाता है।

इसे नेरबुद्दा के नाम से भी जाना जाता है।

नर्मदा नदी भारत की पांचवी बड़ी नदी मानी जाती है।

यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है।

मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे “मध्य प्रदेश की जीवन रेखा” भी कहा जाता है।

इस नदी की लम्बाई लगभग 1310 किमी है।

नर्मदा नदी के किनारे बसे नगर ओंकारेश्वर, जबलपुर, रायगढ़ हैं।

इस नदी की सहायक नदियाँ बुढनेर, बंजर, शर, तबा, आदि हैं।

इस नदी पर बने बांध महेश्वर बाँध, इंदिरा सागर बाँध, सरदार सरोवर बाँध, रानीपुर बाँध आदि हैं।

इंदिरा सागर तालाब (Reservoir) भारत का सबसे बड़ा reservoir है।

नर्मदा नदी मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के कई इलाकों से होते हुए अंततः भरूच शहर के पास खम्भात की खाड़ी में जाकर अरब सागर मे मिल जाती है।

यह नदी पश्चिम की तरफ खम्बात की खाड़ी में गिरती है।

नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अनुपपुर जिले के पास स्तिथ विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वतश्रेणियों के पूर्वी संधिस्थल मैकल पहाड़ी पर स्थित अमरकंटक में नर्मदा कुंड से हुआ है।

नदी अपने उद्गम स्थल से पश्चिम की और सोनमुद से बहती हुई एक चट्टान से निचे गिरती है और एक जलप्रपात बनाती है। इस जल प्रपात को कपिलधरा के नाम से जाना जाता है।

कई घुमावदार मार्ग और प्रबल वेग के साथ जंगलों और पहाड़ों को पार करते हुआ रामनगर के जर्जर महल तक पहुंचती है।

रामनगर और मंडला के बीच करीब 25 किलोमीटर के रास्ते तक नर्मदा नदी का मार्ग चट्टानी बाधा रहित रहता है। यहाँ नदी की गहराई भी बहुत है।

इतना रास्ता तय करने के बाद बाई और से बंजर नदी इसमें मिल जाती है।

नदी की चोड़ाई आगे चलकर कम हो जाती है और जबलपुर के भेडाघाट के 9 मीटर का जल प्रपात बनाती है। यह जलप्रपात धुआंधार-जलप्रपात के नाम से प्रसिद्द है और जबलपुर का सबसे बड़ा दर्शनीय स्थल है।

आगे करीब 3 किलोमीटर तक संगमरमर के पहाड़ों के बीच से होते हुए जलोड़ मिटटी के उपजाऊ मैदान में प्रवेश करती है जिसे नर्मदा घाटी कहा जाता है।

नदी होशंगाबाद से होते हुए कन्नोद मैदान में पहुचती है। यहाँ दक्षिण की और से कई सहायक नदियाँ नर्मदा नदी से आकर मिलती है।

यह सहायक नदियाँ सतपुड़ा पहाड़ियों के उत्तरी ढलानों से पानी लाती हैं। जिनमे: शार, शाककर, दधी, तवा (सबसे बड़ी सहायक नदी) और गंजल साहिल हैं।

हिरन, बरना, चोरल , करम और लोहर, जैसी महत्वपूर्ण सहायक नदियां उत्तर से आकर जुड़ती हैं।

नदी हंडिया और नेमावर से नीचे जल प्रपात तक पहाड़ियों के मध्य से होकर गुजरती हुई, ओम्कारेश्वर नदी द्वीप तक पहुंचती है।

सिकता और कावेरी खंडवा मैदान के नीचे आकर नदी से मिलती है। आगे नदी 180 किलोमीटर लम्बे मंडलेश्वर मैदान में प्रवेश करती है।

नदी आगे जाकर शहस्त्र जल धारा प्रापत बनाती है।

नदी मकरई होते हुए बड़ोदरा और नर्मदा जिले से होकर गुजरती है।

भरूच जिले में पहुंचकर यह बेसीन बनाती हुई अरब सागर में विलीन हो जाती है।

किनारे पर स्थित शहर : दिंडोरी, हरदा, मंधाता, बरवानी, ओम्कारेश्वर, बरवाहा, महेश्वर, मंडला, भरूच, राजपिपला, धरमपुरी, वड़ोदरा।

नर्मदा पर बने हुए बाँध :

सरदार सरोवर बांध :

नर्मदा पर बने बांधों में सबसे बड़ा बांध है।

यह भारत के पांच बड़े बांधों में आता है।

यह 163 मीटर ऊँचा है और 1450 मेगावाट बिजली बनाने की इसकी क्षमता है।

सरदार सरोवर बाँध के खिलाफ कई आन्दोलन हुए।

सरदार सरोवर बांध के बारे में जाने

इंदिरा सागर बाँध :

यह बाँध मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के नर्मदानगर में स्तिथ है।

इस बाँध की उंचाई 92 मीटर है और यह करीब 653 मीटर लम्बा है।

इंदिरा सागर से करीब 1000 MW बिजली बनाई जाती है।

इस बाँध पर बना हुआ इंदिरा सागर तालाब (Reservoir) भारत का सबसे बड़ा reservoir है।

दूसरा सबसे बड़ा तालाब गोबिंदसागर तालाब है जो की भाखड़ा बाँध पर बना हुआ है।

नर्मदा पर बने अन्ये बांध

आपके सुझाव आमंत्रित है। इस आर्टिकल से संबंधित किसी भी प्रकार का संशोधन, आप हमारे साथ साझा कर सकते हैं।

बनाती है। यह जलप्रपात धुआंधार-जलप्रपात के नाम से प्रसिद्द है और जबलपुर का सबसे बड़ा दर्शनीय स्थल है।

आगे करीब 3 किलोमीटर तक संगमरमर के पहाड़ों के बीच से होते हुए जलोड़ मिटटी के उपजाऊ मैदान में प्रवेश करती है जिसे नर्मदा घाटी कहा जाता है।

नदी होशंगाबाद से होते हुए कन्नोद मैदान में पहुचती है। यहाँ दक्षिण की और से कई सहायक नदियाँ नर्मदा नदी से आकर मिलती है।

यह सहायक नदियाँ सतपुड़ा पहाड़ियों के उत्तरी ढलानों से पानी लाती हैं। जिनमे: शार, शाककर, दधी, तवा (सबसे बड़ी सहायक नदी) और गंजल साहिल हैं।

हिरन, बरना, चोरल , करम और लोहर, जैसी महत्वपूर्ण सहायक नदियां उत्तर से आकर जुड़ती हैं।

नदी हंडिया और नेमावर से नीचे जल प्रपात तक पहाड़ियों के मध्य से होकर गुजरती हुई, ओम्कारेश्वर नदी द्वीप तक पहुंचती है।

सिकता और कावेरी खंडवा मैदान के नीचे आकर नदी से मिलती है। आगे नदी 180 किलोमीटर लम्बे मंडलेश्वर मैदान में प्रवेश करती है।

नदी आगे जाकर शहस्त्र जल धारा प्रापत बनाती है।

नदी मकरई होते हुए बड़ोदरा और नर्मदा जिले से होकर गुजरती है।

भरूच जिले में पहुंचकर यह बेसीन बनाती हुई अरब सागर में विलीन हो जाती है।

किनारे पर स्थित शहर : दिंडोरी, हरदा, मंधाता, बरवानी, ओम्कारेश्वर, बरवाहा, महेश्वर, मंडला, भरूच, राजपिपला, धरमपुरी, वड़ोदरा।

नर्मदा पर बने हुए बाँध :

सरदार सरोवर बांध :

नर्मदा पर बने बांधों में सबसे बड़ा बांध है।

यह भारत के पांच बड़े बांधों में आता है।

यह 163 मीटर ऊँचा है और 1450 मेगावाट बिजली बनाने की इसकी क्षमता है।

सरदार सरोवर बाँध के खिलाफ कई आन्दोलन हुए।

सरदार सरोवर बांध के बारे में जाने

इंदिरा सागर बाँध :

यह बाँध मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के नर्मदानगर में स्तिथ है।

इस बाँध की उंचाई 92 मीटर है और यह करीब 653 मीटर लम्बा है।

इंदिरा सागर से करीब 1000 MW बिजली बनाई जाती है।

इस बाँध पर बना हुआ इंदिरा सागर तालाब (Reservoir) भारत का सबसे बड़ा reservoir है।

दूसरा सबसे बड़ा तालाब गोबिंदसागर तालाब है जो की भाखड़ा बाँध पर बना हुआ है।

नर्मदा पर बने अन्ये बांध

आपके सुझाव आमंत्रित है। इस आर्टिकल से संबंधित किसी भी प्रकार का संशोधन, आप हमारे साथ साझा कर सकते हैं।

 

Leave a Comment