फल्गु नदी छोटा नागपुर पठार के उत्तरी भाग से निकलती है। यह नदी झारखण्ड राज्य की एक प्रमुख नदी है। अनेक छोटी-छोटी सरिताओं के मिलने से इस नदी की मुख्य धारा का निर्माण होता है। मुख्य धारा का नाम ‘निरंजना’ या ‘लिलाजन’ है। बोध गया के पास मोहना नामक सहायक नदी से मिलकर यह विशाल रूप धारण कर लेती है। गया के निकट इसकी चौड़ाई सर्वाधिक होती है।
पितृपक्ष के समय देश के विभिन्न भागों से लोग फल्गु नदी में स्नान के लिए आते हैं और पिण्डदान करते हैं। आचार्य बुद्धघोष के अनुसार प्राचीन समय में गया एक घाट (तित्थ) और गाँव दोनों था। प्रतिवर्ष ‘फग्गुण’ (फाल्गुन) मास में कृष्णपक्ष में गया के फग्गुणी घाट पर मेला जुड़ता था। इस मेले में सेनक थेर (श्रेणिक स्थविर) को भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था। बोध गया से छह-सात मील की दूरी पर फल्गु नदी है। भगवान यहाँ विचरण कर चुके थे।
‘निरंजना’ (बोधगया के पास प्रवाहित होने वाली वर्तमान नीलाजन) नदी बोधगया के कुछ ऊपर चलकर मोहना नदी में मिलती है और दोनों मिलकर फल्गु नदी कहलाती हैं। कुछ विद्वान् नेरंजरा को ही फल्गु मानते हैं। भगवान ने इस जगह उरुवेला में 6 वर्ष तप किया, उसके बाद में कई बार विहार किया था। संयुत्त निकाय के कई सुत्तों में नेरंजरा के तट पर भगवान ने जो उपदेश दिए उनका वर्णन है। यहाँ का जल, मिट्टी अत्यन्त ही पवित्र मानी गई है, क्योंकि भगवान के चरणों ने इसे स्पर्श कर पावन बनाया।
गंगा नदी भारत की सबसे बड़ी नदी है। भारत में गंगा नदी की लंबाई 2525 किलोमीटर है। गंगा नदी गंगोत्री के पास गोमुख हिमानी से निकलती है जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में स्थित है। गोमुख हिमानी की ऊंचाई समुद्र तल से 3900 मीटर है। गोमुख हिमानी से निकलने के बाद इसे भागीरथी के नाम से जाना जाता है।आगे चलकर इसमें अलकनंदा नदी मिलती है और दोनों के संयुक्त रूप को ही गंगा कहा जाता है।
गंगा नदी का नाम गंगा देवप्रयाग के बाद पड़ता है।अलकनंदा का उद्गम स्त्रोत बद्रीनाथ के ऊपर सतोपंथ हिमानी है। गंगा हरिद्वार में मैदानी भाग में प्रवेश करती है।उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, तथा बंगाल होते हुए गंगा नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है और बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है जहां पर दुनिया का सबसे बड़ा सुंदरवन का डेल्टा बनता है। पश्चिम बंगाल में गंगा नदी दो वितरिकाओं में बंट जाती है – भागीरथी एवं हुगली. मुख्य नदी भागीरथी अर्थात् गंगा बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है और हुगली नदी पश्चिम बंगाल में दक्षिण की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है| गंगा नदी भारत में 5 राज्यों से होकर गुजरती है – उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल.गंगा नदी की सबसे ज्यादा लम्बाई उत्तर प्रदेश में है तथा सबसे कम लम्बाई झारखंड राज्य में है.
हरिद्वार, कानपुर, कन्नौज, प्रयागराज, वाराणसी तथा पटना आदि गंगा के किनारे स्थित प्रसिद्ध शहर हैं। यमुना गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो प्रयागराज में गंगा से मिलती है और यहीं पर रहस्यमई सरस्वती भी गंगा से मिलती है। गंगा नदी को बांग्लादेश में पद्मा के नाम से जाना जाता है। भारत में गंगा नदी की लंबाई 2525 किलोमीटर है। गंगा का उद्गम दक्षिणी हिमालय में तिब्बत सीमा के भारतीय हिस्से से होता है। दो प्रमुख धाराओं में बड़ी अलकनन्दा का उद्गम हिमालय के नंदा देवी शिखर से 48 किलोमीटर दूर तथा दूसरी भागीरथी का उद्गम हिमालय की गंगोत्री नामक हिमनद के रूप में 3,050 मीटर की ऊँचाई पर बर्फ़ की गुफ़ा में होता है। गंगोत्री हिन्दुओं का एक तीर्थ स्थान है। वैसे गंगोत्री से 21 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व स्थित गोमुख को गंगा का वास्तविक उद्गम स्थल माना जाता है। गंगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी है, जो कुमाऊँ में हिमालय के गोमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती है। गंगा के इस उद्गम स्थल की ऊँचाई 3140 मीटर है। यहाँ गंगा जी को समर्पित एक मंदिर भी है। गंगोत्री तीर्थ, शहर से 19 किलोमीटर की ओर 3892 मीटर (12,770 फीट) की ऊँचाई पर इस हिमनद का मुख है। गंगा के बेसिन में इस उपमहाद्वीप की विशालतम नदी प्रणाली स्थित है। यहाँ जल की आपूर्ति मुख्यत: जुलाई से अक्टूबर के बीच दक्षिण-पश्चिमी मानसून तथा अप्रॅल से जून के बीच ग्रीष्म ऋतु के दौरान पिघलने वाली हिमालय की बर्फ़ से होती है। नदी के बेसिन में मानसून के उन कटिबंधीय तूफ़ानों से भी वर्षा होती है, जो जून से अक्टूबर के बीच बंगाल की खाड़ी में पैदा होते हैं। दिसम्बर और जनवरी में बहुत कम मात्रा में वर्षा होती है. गंगा में उत्तर की ओर से आकर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदियाँ यमुना, रामगंगा, करनाली (घाघरा), ताप्ती, गंडक, कोसी और काक्षी हैं तथा दक्षिण के पठार से आकर इसमें मिलने वाली प्रमुख नदियाँ चंबल, सोन, बेतवा, केन, दक्षिणी टोस आदि हैं। यमुना गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी है जो हिमालय की बन्दरपूँछ चोटी के आधार पर यमुनोत्री हिमखण्ड से निकली है। हिमालय के ऊपरी भाग में इसमें टोंस तथा बाद में लघु हिमालय में आने पर इसमें गिरि और आसन नदियाँ मिलती हैं। चम्बल, बेतवा, शारदा और केन यमुना की सहायक नदियाँ हैं। ऐतिहासिक रूप से गंगा के मैदान से ही हिन्दुस्तान का हृदय स्थल निर्मित है और वही बाद में आने वाली विभिन्न सभ्यताओं का पालना बना। अशोक के ई. पू. के साम्राज्य का केन्द्र पाटलिपुत्र (पटना), बिहार में गंगा के तट पर बसा हुआ था। महान् मुग़ल साम्राज्य के केन्द्र दिल्ली और आगरा भी गंगा के बेसिन की पश्चिमी सीमाओं पर स्थित थे। सातवीं सदी के मध्य में कानपुर के उत्तर में गंगा तट पर स्थित कन्नौज, जिसमें अधिकांश उत्तरी भारत आता था, हर्ष के सामन्तकालीन साम्राज्य का केन्द्र था। मुस्लिम काल के दौरान, यानी 12वीं सदी से मुसलमानों का शासन न केवल मैदान, बल्कि बंगाल तक फैला हुआ था। डेल्टा क्षेत्र के ढाका और मुर्शिदाबाद मुस्लिम सत्ता के केन्द्र थे। भारत की राष्ट्र-नदी गंगा जल ही नहीं, अपितु भारत और हिन्दी साहित्य की मानवीय चेतना को भी प्रवाहित करती है। ऋग्वेद, महाभारत, रामायण एवं अनेक पुराणों में गंगा को पुण्य सलिला, पाप-नाशिनी, मोक्ष प्रदायिनी, सरित्श्रेष्ठा एवं महानदी कहा गया है। संस्कृत कवि जगन्नाथ राय ने गंगा की स्तुति में ‘श्रीगंगालहरी’ नामक काव्य की रचना की है। हिन्दी के आदि महाकाव्य पृथ्वीराज रासो तथा वीसलदेव रासनरपति नाल्ह) में गंगा का उल्लेख है। आदिकाल का सर्वाधिक लोक विश्रुत ग्रंथ जगनिक रचित आल्हाखण्ड में गंगा और सरस्वती का उल्लेख है। गंगा नदी के साथ अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। कुछ पुराणों ने गंगा को मन्दाकिनी के रूप में स्वर्ग में, गंगा के रूप में पृथ्वी पर और भोगवती के रूप में पाताल में प्रवाहित होते हुए वर्णित किया है। विष्णु आदि पुराणों ने गंगा को विष्णु के बायें पैर के अँगूठे के नख से प्रवाहित माना है। कुछ पुराणों में ऐसा उल्लेख है की शिव ने अपनी जटा से गंगा को सात धाराओं में परिवर्तित कर दिया, जिनमें तीन (नलिनी, ह्लदिनी एवं पावनी) पूर्व की ओर, तीन (सीता, चक्षुस एवं सिन्धु) पश्चिम की ओर प्रवाहित हुई और सातवीं धारा भागीरथी हुई। कूर्म पुराण का कथन है कि गंगा सर्वप्रथम सीता, अलकनंदा, सुचक्ष एवं भद्रा नामक चार विभिन्न धाराओं में बहती है। अलकनंदा दक्षिण की ओर बहती है, भारतवर्ष की ओर आती है और सप्तमुखों में होकर समुद्र में गिरती है। गंगा नदी की सहायक नदियां गंगा नदी की सहायक नदियों को सुविधा की दृष्टि से दो भागों में बाँटा जा सकता है – (1) गंगा नदी के दाँए तट पर आकर मिलने वाली नदियां (2) गंगा नदी के बाँए तट पर आकर मिलने वाली नदियां (1) गंगा नदी के दाहिने तट पर आकर मिलने वाली नदियां :-
- गंगा नदी के दाहिने तट पर आकर मिलने वाली प्रायद्वीपीय पठार की नदियां चम्बल, सिन्ध, बेतवा, केन, टोन्स और सोन हैं|
- गंगा नदी की एकमात्र हिमालयी सहायक नदी यमुना नदी है, जो कि इसके दाँए तट पर आकर मिलती है|
- यमुना नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी गोदावरी नदी से छोटी है| यमुना नदी की लम्बाई लगभग 1385 किमी. है|
- टोंस नदी प्रयागराज जिले में गंगा से आकर मिलती है|
- सोन नदी मैकाल पहाड़ी के अमरकंटक चोटी से निकलकर पटना के पास गंगा नदी में मिलती है|